दीपावली पर ग्रहों एवं नक्षत्रों की स्तिथि


दीपावली पर ग्रहों एवं नक्षत्रों  की स्तिथि

इस वर्ष श्री महालक्ष्मी कुबेरादि पूजन दीपावली का पावन पर्व 13 नवम्बर 2012 मंगलवार को पड़ रहा है। यद्यपि सूर्योदय के समय चतुर्दशी व्याप्त है जो प्रातः 7 बजकर 16 मिनट तक रहेगी, तदुपरान्त अमावस्या प्रारंभ होगी। सूर्योदय के समय स्वाति नक्षत्र, तुला राशि है, जो अपरान्ह 3 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। तदुपरान्त विशाखा नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा। अतः दीपावली का पावन पर्व मंगलवार स्वाति नक्षत्र एवं विशाखा नक्षत्र के बीच में पड़ रहा है। स्वाति नक्षत्र के योग से ध्वज योग बन रहा है, जो सौभाग्य का सूचक है तथा विशाखा नक्षत्र से श्रीवत्स नामक योग बन रहा है, जो सौख्य एवं सम्पदा का सूचक है। प्रदोषकाल सायं 5 बजकर 40 मिनट से रात्रि 7 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। इस दिन सभी श्रद्धालु गृहस्थजन एवं व्यापारी समाज को महालक्ष्मी पर्व के विशेष अवसर पर अपनी ऋद्धि-सिद्धि तथा आर्थिक सफलता के लिए लक्ष्मी, कुबेर और श्रीगणेश जी का पूजन प्रदोषकाल में श्रद्धापूर्वक करना चाहिए।

प्रदोष काल सायं 7.05 से 7.32 बजे तक, वृष लग्न में (चैघड़िया के दोष को समाप्त कर लेने के बाद का समय)

दिल्ली देशान्तर में मंगलवार 13 नवम्बर 2012 को सायं 5 बजकर 27 मिनट पर सूर्यास्त हो रहा है। इसके साथ ही 5 बजकर 35 मिनट से वृष लग्न का आरंभ हो रहा है जो रात्रि 7 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इस लग्न के दौरान सायं 7 बजकर 5 मिनट पर चैघड़िया अशुभ है। अतः सायं 7 बजकर 5 मिनट के बाद ही वृष लग्न का प्रदोष काल है, जिसमें वृष लग्न की उपस्थिति 7 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। इसी समय के दौरान दीपावली पूजन आरंभ करना लाभदायक रहेगा। प्रदोष के समय विशाखा नक्षत्र जारी रहेगा। तुला का चन्द्रमा। प्रदोषकाल का आधार लग्न वृष (2)है जो कि सायं 5 बजकर 34 मिनट से रात्रि 7 बजकर 32 मिनट तक है। वृष लग्न की कुण्डली में गुरु और केतु का योग है। कन्या में शुक्र, तुला राशि में सूर्य, चन्द्र और शनि वृश्चिक राशि में बुध और राहु, धनु राशि में प्लूटो और मंगल, कुंभ राशि में नेपचून और मीन राशि में हर्षल ग्रह बैठा हुआ है।

 इस महालक्ष्मी वर्ष के प्रदोषकाल के दौरान सभी ग्रह सारे साल यानि 3 नवम्बर 2013 तक शनि ग्रह तुला राशि में ही संचार करेगा। अन्य ग्रहों में 23 दिसम्बर को राहु भी शनि के साथ तुला राशि में उल्टी दिशा से प्रवेश करेगा। इस प्रकार केतु का संचार 23 दिसम्बर के बाद मेष राशि में रहेगा। सूर्य तुला राशि से अपनी यात्रा आरंभ करते हुए अगले वर्ष भी तुला राशि के 18वें अंश में होगा। इन सबके साथ ही बृहस्पति का संवार वृष में और आगे का गोचर 30 मई को मिथुन राशि में संचार करने से आरंभ होगा, जो कि मई 2014 तक लगातार मिथुन राशि में ही रहेगा। अन्य ग्रहों में चन्द्रमा तुला राशि में सूर्य और शनि के साथ योग करेगा। बुध और राहु वृश्चिक राशि में, प्लूटो और मंगल धनु राशि में, हर्षल मीन राशि में, गुरु और केतु वृष राशि में तथा शुक्र कन्या राशि के गोवर से अपनी यात्रा आरंभ करेंगे।

प्रदोषकाल सांय वृष लग्न की कुण्डली दिनांक 13 नवम्बर 2012 समय प्रदोषकाल 7 बजकर 5 मिनट से 7 बजकर 32 मिनट के दौरान विशेष पूजन मुहूर्त का सद्भाव रहेगा।